अंतरिक्ष में होगा प्लांट, सूरज से लेंगे बिजली
चेन्नै
दिन की तरह सूरज अगर रात को भी रोशनी फैलाता तोकितना बेहतर होता। कम से कम पावर कट की प्रॉब्लम सेतो निजात मिल जाती ... यह कल्पना अब शायद हकीकतमें बदल सके। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कुछऐसा ही अनूठा सुझाव पेश किया है। उन्होंने धरती परबिजली की कमी पूरी करने के लिए अंतरिक्ष ( स्पेस बेस्ड )पावर प्लांट के जरिए ' नैनो एनर्जी पैक ' का प्रपोजल तैयारकिया है।
चेन्नै की अन्ना यूनिवर्सिटी में 20 वें नैशनल लेजरसिंपोजियम के मौके पर उन्होंने कहा कि सूरज से 100 खरबबार किरणें निकलती हैं , जो पूरी दुनिया में इंसानों के कामआती हैं। अगर हम इस ऊर्जा का एक छोटा सा हिस्सा भीहासिल करने में कामयाब हुए तो ये भविष्य में बिजली कीजरूरतें पूरी करने में पूरी तरह सक्षम होंगी।
धरती के सोलर प्लांट से बेहतर
धरती पर लगे सोलर पावर प्लांट की क्षमता को सीमित बताते हुए कलाम कहते हैं कि अंतरिक्ष के सोलर पावरप्लांट से कई तरह के फायदे होंगे। इस तरह के प्लांट धरती पर लगने वाले सोलर पावर प्लांट के मुकाबले ज्यादाप्रभावी होंगे। पहला तो यह कि धरती की तुलना में ऊपर ( एक्स्ट्रा टेरेस्टियल लेवल ) का सोलर रेडिएशन 1.4गुना ज्यादा होता है। दूसरा यह कि धरती पर लगा सोलर पावर प्लांट दिन में केवल छह से आठ घंटे तक हीसोलर एनर्जी इकट्ठा कर सकता है जबकि स्पेस - बेस्ड पावर प्लांट चौबीसों घंटे सोलर एनर्जी कलेक्ट कर सकताहै। इन पर मौसम का भी कोई असर नहीं पड़ता है।
धरती पर कैसे आएगी बिजली
सबसे बड़ा सवाल यह है कि अंतरिक्ष में सोलर प्लांट से बनी बिजली को हम धरती तक कैसे पहुंचाएंगे। इससवाल का जवाब भी पूर्व राष्ट्रपति ने दिया। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में बने सोलर पावर प्लांट से धरती परबिजली माइक्रोवेव या लेजर टेक्नॉलजी जैसी किसी तकनीक के जरिए भेजी जा सकेगी।
दिन की तरह सूरज अगर रात को भी रोशनी फैलाता तोकितना बेहतर होता। कम से कम पावर कट की प्रॉब्लम सेतो निजात मिल जाती ... यह कल्पना अब शायद हकीकतमें बदल सके। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कुछऐसा ही अनूठा सुझाव पेश किया है। उन्होंने धरती परबिजली की कमी पूरी करने के लिए अंतरिक्ष ( स्पेस बेस्ड )पावर प्लांट के जरिए ' नैनो एनर्जी पैक ' का प्रपोजल तैयारकिया है।
चेन्नै की अन्ना यूनिवर्सिटी में 20 वें नैशनल लेजरसिंपोजियम के मौके पर उन्होंने कहा कि सूरज से 100 खरबबार किरणें निकलती हैं , जो पूरी दुनिया में इंसानों के कामआती हैं। अगर हम इस ऊर्जा का एक छोटा सा हिस्सा भीहासिल करने में कामयाब हुए तो ये भविष्य में बिजली कीजरूरतें पूरी करने में पूरी तरह सक्षम होंगी।
धरती के सोलर प्लांट से बेहतर
धरती पर लगे सोलर पावर प्लांट की क्षमता को सीमित बताते हुए कलाम कहते हैं कि अंतरिक्ष के सोलर पावरप्लांट से कई तरह के फायदे होंगे। इस तरह के प्लांट धरती पर लगने वाले सोलर पावर प्लांट के मुकाबले ज्यादाप्रभावी होंगे। पहला तो यह कि धरती की तुलना में ऊपर ( एक्स्ट्रा टेरेस्टियल लेवल ) का सोलर रेडिएशन 1.4गुना ज्यादा होता है। दूसरा यह कि धरती पर लगा सोलर पावर प्लांट दिन में केवल छह से आठ घंटे तक हीसोलर एनर्जी इकट्ठा कर सकता है जबकि स्पेस - बेस्ड पावर प्लांट चौबीसों घंटे सोलर एनर्जी कलेक्ट कर सकताहै। इन पर मौसम का भी कोई असर नहीं पड़ता है।
धरती पर कैसे आएगी बिजली
सबसे बड़ा सवाल यह है कि अंतरिक्ष में सोलर प्लांट से बनी बिजली को हम धरती तक कैसे पहुंचाएंगे। इससवाल का जवाब भी पूर्व राष्ट्रपति ने दिया। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में बने सोलर पावर प्लांट से धरती परबिजली माइक्रोवेव या लेजर टेक्नॉलजी जैसी किसी तकनीक के जरिए भेजी जा सकेगी।
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